लेनिन पर 'ब्रेख्त' की लिखी मशहूर कविता
अपराजेय अभिलेख
युद्ध काल में
इटली के सांकार्लो के जेल की एक कालकोठरी में
जहां भरे हुए थे सिपाही, शराबी और चोर.
एक समाजवादी सिपाही ने
अपनी अमिट लेखनी से
दीवार पर अंकित कर दिया
लेनिन ज़िंदाबाद!
आधी अंधियारी उस कालकोठरी में
ऊपर
उसने बड़े अक्षरों में लिखा
लेनिन ज़िंदाबाद!
जब जेलरों ने उसे देखा
उन्होंने चूने भरी बाल्टी और
एक लंबे ब्रश के साथ
एक पुताई करने वाले को भेजा.
जिससे वह दीवार पोत दी जाए.
पुताई के बाद
उस दीवार पर सफेद रंग में
उभर आया
लेनिन ज़िंदाबाद!
एक दूसरे रंग साज़ ने
एक चौड़े ब्रश से उस पर रंग पोता
जिससे कुछ घंटों के लिए वह अभिलेख मिट गया.
लेकिन जैसे ही चूना सूखा
उसके नीचे का अभिलेख फिर उभर उट्ठा
लेनिन ज़िंदाबाद!
तब जेलर ने
छेनी के साथ वहां एक राजगीर को भेजा.
उसने घंटे भर में
आखर दर आखर
अभिलेख खुरच दिया.
और जब वह काम खत्म करके हटा, तो
अब रंग हीन लेकिन दीवार के ठीक ऊपर
और भी गहराई से तराशा हुआ था
एक अपराजेय अभिलेख
लेनिन ज़िंदाबाद!
अनुवाद--अमिता शीरीन
अपराजेय अभिलेख
युद्ध काल में
इटली के सांकार्लो के जेल की एक कालकोठरी में
जहां भरे हुए थे सिपाही, शराबी और चोर.
एक समाजवादी सिपाही ने
अपनी अमिट लेखनी से
दीवार पर अंकित कर दिया
लेनिन ज़िंदाबाद!
आधी अंधियारी उस कालकोठरी में
ऊपर
उसने बड़े अक्षरों में लिखा
लेनिन ज़िंदाबाद!
जब जेलरों ने उसे देखा
उन्होंने चूने भरी बाल्टी और
एक लंबे ब्रश के साथ
एक पुताई करने वाले को भेजा.
जिससे वह दीवार पोत दी जाए.
पुताई के बाद
उस दीवार पर सफेद रंग में
उभर आया
लेनिन ज़िंदाबाद!
एक दूसरे रंग साज़ ने
एक चौड़े ब्रश से उस पर रंग पोता
जिससे कुछ घंटों के लिए वह अभिलेख मिट गया.
लेकिन जैसे ही चूना सूखा
उसके नीचे का अभिलेख फिर उभर उट्ठा
लेनिन ज़िंदाबाद!
तब जेलर ने
छेनी के साथ वहां एक राजगीर को भेजा.
उसने घंटे भर में
आखर दर आखर
अभिलेख खुरच दिया.
और जब वह काम खत्म करके हटा, तो
अब रंग हीन लेकिन दीवार के ठीक ऊपर
और भी गहराई से तराशा हुआ था
एक अपराजेय अभिलेख
लेनिन ज़िंदाबाद!
अनुवाद--अमिता शीरीन
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